इसके अन्तर्गत मरुस्थल में आने वाले उत्पादकों (producers), उपभोक्ताओं (consumers), • एवं अपघटनकर्ताओं (decomposers) का आपसी सम्बन्ध देखते हैं, जो निम्नानुसार हैं
इसमें मरुस्थल में आने वाली झाड़ियाँ, घासें, पौधे, केक्टम इत्यादि पौधे आते हैं जो सूर्य प्रकाश में अपना भोजन बनाने की क्षमता रखते हैं।
उपभोक्ता (Consumers) इसमें वे जीव-जन्तु आते हैं जो मरुस्थली वातावरण को सहन करने की क्षमता रखते हैं; जैसे-मरुस्थल में पाये जाने वाले सरीसृप (reptiles), कीड़े, पक्षी, कृदन्त एवं ऊँट ।
अपघटनकर्ता (Decomposers ) इसमें कवक (fungi) सूक्ष्मजीवी आते हैं जिसमें तापक्रम सहन करने की क्षमता है। मरुस्थल में रहने वाले उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं की मृत्यु होने पर उनके शरीर को अपघटित करके उनके तत्व जमीन व वातावरण में ले आते हैं।