वायु प्रदूषण के निवारण, नियन्त्रण तथा उपशमन के लिए पूर्वदत्त प्रयोजनों को क्रियान्वित करने की दृष्टि से बोर्डों की स्थापना के लिए, उनसे सम्बन्धित शक्तियाँ और कृत्य ऐसे बोडों को प्रदत्त और समनुदेशित करने के लिए और उनसे सम्बन्धित विषयों के लिए उपबन्ध करने के लिए अधिनियम जून, 1972 में स्टॉकहोम में मानवीय पर्यावरण पर एक संयुक्तराष्ट्र सम्मेलन हुआ था जिसमें भारत ने भी भाग लिया था। इसमें भूमि के प्राकृतिक साधनों के, जिनमें वायु के गुणों का परिरक्षण एवं प्रदूषण का नियन्त्रण सम्मिलित है, निवारणार्थ समुचित कदम उठाने के लिए निर्णय लिया गया था और वायु के परिरक्षण के लिए तथा प्रदूषण के नियन्त्रण के लिए पूर्वोक्त निर्णय को कार्यान्वित करना आवश्यक समझा जाता है।
यह अधिनियम निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पारित किया गया (i) वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियन्त्रण, (ii) वायु की गुणता को बनाए रखने तथा (iii) वायु प्रदूषण की रोकथाम तथा नियन्त्रण के लिए आयोग या बोर्ड का गठन। वायु प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के अधिकार एवं कार्य (a) केन्द्रीय बोर्ड का गठन एवं उसके संविधान-इस अधिनियम के विभिन्न खण्डों में जल एवं वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बोर्ड के गठन का प्रावधान है-
जैसे- (i) खण्ड-3-इसमें वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियन्त्रण के लिए केन्द्रीय बोर्ड के गठन का उल्लेख है।
(ii) खण्ड 4-इसमें राज्य बोर्ड के गठन का उल्लेख है। (b) बोर्ड के अधिकार-
(i) इसके खण्ड 19.1 में वायु प्रदूषण के नियन्त्रण हेतु क्षेत्र की घोषणा का अधिकार है।
(ii) अधिनियम के खण्ड 20.2 में ऑटोमोबाइल्स द्वारा वायु प्रदूषकों की विमुक्ति के लिए मानक (Standard) तैयार करने सम्बन्धी अधिकार है।
(iii) अधिनियम के खण्ड 21.3 में कुछ प्रमुख औद्योगिक इकाइयों पर नियन्त्रण करने सम्बन्धी दिये गये हैं।
(iv) खण्ड 24.5 में प्रदूषण के क्षेत्र में प्रवेश तथा निरीक्षण सम्बन्धी अधिकार दिये गये हैं।
(v) अधिनियम के खण्ड 26 में किसी भी इकाई औद्योगिक संस्थानों में सेम्पल लेने का अधिकार दिया गया है।
(c) अधिनियम के अन्तर्गत दण्ड का प्रावधान-इस अधिनियम के अनुसार प्रदूषण फैलाने के लिए दोषी पाये जाने वर 3 माह के करावास या ₹10,000 तक का जुर्माना अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान रखा गया है।